भारत में शिक्षा
भारत में शिक्षा सरकारी आ प्राइवेट दुनों तरह के बिद्यालय आ संस्थान सभ द्वारा उपलब्ध करावल जाले, जहाँ नियामक आ फंडिंग करे वाला के रूप में केंद्र सरकार, राज्य सरकार आ लोकल स्वशासन तीनों के भूमिका बा। भारतीय संबिधान के प्राबिधान के अनुसार भारत में सुरुआती शिक्षा पावे के मौलिक अधिकार घोषित कइल गइल बा आ 6 से 14 साल के उमिर के बच्चन सभ के मुफ्त में आ अनिवार्य शिक्षा के बिधान बाटे। सरकारी आ प्राइवेट संस्था सभ के बिचा में 7:5 के अनुपात बा।
आजादी के बाद से भारत में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार प्रगति देखे में आइल बा आ प्राइमरी शिक्षा में नाँवलिखाई अनुपात (एनरोलमेंट रेशियो) अउरी साक्षरता में बेहतरी भइल बा आ साल 2011 के आँकड़ा में ई देखल गइल की 7–10 उमिर बर्ग में तीन-चउथाई हिस्सा शिक्षा ले पहुँच बना चुकल बा। हालाँकि, भारत में सुरुआती शिक्षा के बाद पढ़ाई छोड़े के अनुपात अभिन भी ढेर बा आ भारत के अपना बिसाल जनसंख्या के संसाधन में बदले खाती शिक्षा के क्षेत्र में अभिन भी काफी काम करे के बचल बा।
शिक्षा के सालाना स्थिति के रपट में साल 2012 में बतावल गइल की देहातन में 6-14 साल के उमिर बर्ग में 96.5% लइकन के नाँवलिखाई अनुपात पहुँच चुकल बा। हालाँकि, आँकड़ा सभ सुरुआती शिक्षा के क्षेत्र में लगभग पूरा जनसंख्या ले पहुँच बता रहल बाने, शिक्षा के क्वालिटी पर सावालिया निशान भी लागल बा, खासतौर से सरकारी इस्कूल सभ में शिक्षा के गुणवता पर सावल उठावल गइल बा। सुरुआती शिक्षा के मामिला में प्राइवेट क्षेत्र के हिस्सेदारी बहुत महत्व के बा आ कुछ मात्रा में, आगे के पढ़ाई में भी प्राइवेट सेक्टर के भूमिका बा। एकरे बावजूद उच्च शिक्षा आ रिसर्च के क्षेत्र में ज्यादातर काम सरकारी संस्थान सभ के बा।
इस्कूल आ कॉलेज के सिस्टम
भारत में इस्कूल सभ के पढ़ाई 10+2+3 के तरीका से होखे ले। एह में सुरुआती दस साल के भी दू हिस्सा में बाँटल जाला, सबसे सुरुआती 4 या 5 साल के पढ़ाई के प्राइमरी (प्राथमिक) आ बाद के 6 या 5 साल के माध्यमिक शिक्षा (हाईस्कूल) कहल जाला। माध्यमिक के भी कहीं-कहीं दू हिस्सा में बाँट दिहल जाला, जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) आ हाईस्कूल (माध्यमिक) के रूप में। हाईस्कूल के बाद के दू साल के पढ़ाई के कहीं उच्चतर माध्यमिक आ कही इंटरमीडिएट कहल जाला जे एक तरह से प्री कॉलेज पढ़ाई होला। एकरे बाद 3 साल के कॉलेज के पढ़ाई (ग्रेजुएशन) होला। एकरे बाद के शिक्षा के उच्च शिक्षा कहल जाला जेह में बिबिध बिसय सभ में मास्टर डिग्री आ रिसर्च सामिल बा।
सुरुआती शिक्षा
उच्चशिक्षा
कॉलेज के ग्रेजुएशन के पढ़ाई आ एकरे बाद के पढ़ाई के उच्च शिक्षा (हायर एजुकेशन) कहल जाला। ज्यादातर बिसय सभ में अइसन कोर्स सभ बैचलर (स्नातक) आ मास्टर (परास्नातक) के डिग्री देवे लें। उच्च शिक्षा ले पहुँच आ एह शिक्षा के गुणवत्ता मामिला में भारत अभिन काफी पीछे बतावल जाला, भारत के कौनों विश्वविद्यालय दुनिया के टॉप विश्वविद्यालय सभ में ना सामिल बा, इहाँ उच्च शिक्षा में नाँव लिखावे वाल बिद्यार्थी सभ के प्रतिशत साल (2013 में) बस 11% रहल जबकि अमेरिका में ई 83% रहे, नैक (NACC) के रपट में बतावल गइल की 90% कालेज आ 70% इन्वर्सिटी सभ के पढ़ाई के स्तर कमजोर बा।[१]
इतिहास
पुराना समय में भारत में गुरुकुल में शिक्षा दिहल जाव। यानी पढ़ाई करे वाला बिद्यार्थी लोग गुरु के लगे आश्रम में जा के पढ़ाई करे। कुछ गुरुकुल बहुत बड़े-बड़े शिक्षा संस्थान के रूप ले लिहले रहलें जिनहन के प्राचीन जमाना के विश्वविद्यालय के रूप में भी देखल जाला - जइसे कि तक्षशिला आ नालंदा नियर गुरुकल के प्राचीन विश्वविद्यालय मानल जाला। एह दौर में ब्राह्मण-शिक्षा ब्यवस्था के साथ-साथ बौद्ध शिक्षा के भी महत्व रहल आ दुनों में कुछ अंतर भी रहल।[२]
भारतीय इतिहास के मध्य जुग में शिक्षा ब्यवस्था के बहुत ब्यवस्थित रूप ना रहि गइल अइसन मानल जाला। सल्तनत काल आ मुग़ल काल में, पुराना समय से चल आ रहल शिक्षा में बदलाव भइल[३] आ एकर स्तर पहिले नियर ना रहि गइल[४]; एह दौर में शिक्षा धर्म आधारित हो गइल आ एकर मकसद इस्लाम के बिस्तार से जुड़ गइल; प्राइमरी शिक्षा मकतब में आ बाद के पढ़ाई मदरसा में होखे लागल।[५] हालाँकि, एकरे साथे-साथ पुराना ब्यवस्था के शिक्षा भी कुछ मात्रा में जारी रहल।[६] दिल्ली, आगरा, जौनपुर आ अजमेर एह दौर में शिक्षा के प्रमुख केंद्र रहलें।[७]
भारत में प्राथमिक शिक्षा के अंगरेजी सिस्टम के जनमदाता लार्ड मैकाले के मानल जाला। "वुड के डिस्पैच" आ "हंटर कमीशन" के रपट के इहाँ के शिक्षा ब्यवस्था के नया रूप देवे में महत्व वाली भूमिका रहल।[८]