भोजपुरी

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टेम्पलेट:Infobox language भोजपुरी भाषाई परिवार के स्तर प एगो इंडो-आर्य भाषा हीयऽ जवन मूल रूप से भारत के बिचिला गंगा के मैदान के कुछ हिस्सन में आ नेपाल के तराई वाला कुछ हिस्सन में बोलल जाला। भारत में ई भाषा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में, बिहार के पछिमही में, आ झारखंड के ऊतरवारी-पछिमही इलाका सभ में बोलल जाला।[१] नेपाल के संबिधान एकरा ओहिजा के राष्ट्रभासा के दरजा दिहले बा।[२] 5.1 करोड़ के भासी के संगे, भोजपुरी भारत के आठवा आ नेपाल ने तीसरका सभ से बेसि बोले जाए वला भासा हऽ, आ दुनिया के सभ से बेसि बोले जाए वला मातृभासा सभ मे 26वा स्थान प बा आ दुनिया के सभ से बेसि बोले जाए वला भासा सभ मे 33वा स्थान प बा।[३]

मूल क्षेत्र के अलावा भोजपुरी जाने-बुझे वाला लोगन के बिस्तार बिस्व के सगरी महादीप कुल पर बा। उत्तर परदेश मे सबसे जादा भोजपुरी बनारस,बलिया,जौनपुर आउर गोरखपुर मे बोलल जाला।जेन्ने-जेन्ने यूरोपियन कॉलोनी रहल अंग्रेज लोग उत्तरपरदेश आ बिहार से भारी संख्या में मजदूरी करे खातिर लोग के ले गइल जिनहन लोग के भाषा भोजपुरी रहे। एसियाइ देशन में मउरीसस सूरिनाम, गुयाना, त्रिनिदाद आ टोबैगो, फिजी नीयन देश प्रमुख बाड़ें जहाँ भोजपुरी प्रमुख भाषा के रूप में बोलल आ बुझल जाला, चाहे इहाँ भोजपुरी के मूल में अन्य भाषा सभ के तत्व मिल के नाया भाषा सभ के निर्माण भइल बा।

भारत के जनगणना आंकड़ा 2011 के अनुसार भारत में लगभग 5.1 करोड़ भोजपुरी बोले वाला लोग बा।[४] मय बिस्व में भोजपुरी जाने वाला लोगन के संख्या लगभग 7 करोड़ से जादे बा।[५] द टाइम्स ऑफ इंडिया के एगो लेखा में कहल गइल बा कि मय विश्व में भोजपुरी बोले वला 16 करोड़ लोग बाड़ान जे में से 8 करोड़ बिहार आउर 7 करोड़ उत्तर परदेश में रहे लें बाकी 1करोड़ लोग बचल बिश्व में रहे लें, उत्तर अमेरिका के भोजपुरी संगठन के भी कहनाम बा कि बिस्व में 18 करोड़ अमदी भोजपुरी बोले लें।[६]टेम्पलेट:Dead link जनगणना आ हई बात में अंतर एह चलते हो सकेला की ढ़ेर लोग जनगणना में भोजपुरी के आपन माईभाषा ना लिखवावस।

नाँव

भोजपुरिया चाहे भोजपुरी शब्द भोजपुर शब्द से बनल बा। 12वा शताब्दी मे उज्जैनिया राजपूत आ चेरो सभ के जुद्ध भइल, जेकर उज्जैनिया लोग जितल आ आपन राजधानी के नांव आपन पूर्वज राजा भोज के नांव प भोजपुर (राजा भोज के नगर) धइल। ग्रियर्सन इहाँ, शाहाबाद के उत्तरी-पच्छिमी हिस्सा में, एगो कसबा आ परगना बतवले बाडें जेकरा नाम प एह भाषा के नाम पड़ल। बड़का भोजपुर आ छोटका भोजपुर नांव के दु गो गाँव आजो बक्सर जिला मे बा आ ओहिजा नवरतन महल के खंडहरो बाटे। आगे चल के इहे भोजपुर शब्द पूरा आरा चाहे शाहाबाद के क्षेत्र बदे प्रयोग होखे लागल आ भोजपुरिया चाहे भोजपुरी बिसेसन के एहिजा के लोग आ भासा ला प्रयोग होखे लागल। भोजपुरी छोड़ के एह भासा के अउरो सभ नांव रहे, जइसे मुगल सेना मे भोजपुरिया लोग के बक्सरिया कहल जात रहे। बनारस मे एकरा बनारसी आ अवध मे पूरबी कहल जात रहे। बंगाल मे देसवाली चाहे पछिमी कहल जाला। भारत के बहार सूरीनाम मे एकरा सरनामी हिंदुस्तानी आ कराबिआई देसन मे कैरीबियन हिंदुस्तानी कहल जाला।

पैदाइश

बिद्वान लोग भोजपुरी भाषा के पैदाइश मागधी अपभ्रंस से मानें लें।[७] हवलदार त्रिपाठी के कहनाम बा कि भोजपुरी संस्कृते से निकलल हवे।[८] भोलानाथ तिवारी एकर उतपत्ति संस्कृत-प्राकृत से मागधी अपभ्रंस, आ मागधी अपभ्रंस से बिहारी भासा सभ (जे में भोजपुरी भी सामिल कइल जाले) बतवले बाड़ें।[९]

भोजपुरी पर पच्छिमी बोली सभ के प्रभाव भी पाइल गइल बाटे।[१०] बाद के समय में एह में हिंदी-उर्दू के परभाव भी देखे के मिले ला आ फारसी के शब्द भी एतना स्वाभाविक रूप से घुल मिल गइल बाडेन कि ऊ भोजपुरिहा बेकति खातिर बिदेसी ना लागेलें। साथे-साथे अंगरेजी के शब्द भी देसी उच्चारण के साथ अब भोजपुरी में बहुत पावल जालें जेवन एह भाषा के शब्द-ग्राहकता के प्रबल प्रमाण बा।

भूगोलीय बिस्तार

भूगोलीय बर्गीकरण

भूगोलीय वर्गीकरण में उत्तर भारत क लगभग सगरी भाषा कुल इंडो-यूरोपियन परिवार के इंडो-ईरानियन समूह के भाषा ठहरेलीं। ग्रियर्सन महोदय भारतीय भाषा सभ के अंतरंगबहिरंग, दू तरह की बिसेसता की आधार, प अलग-अलग श्रेणी में बँटलें जेवना में बहिरंग की आधार पर ऊ भारतीय भाषा सभ के तीन गो प्रमुख शाखा स्वीकार कइलें:

  1. उत्तर पच्छिमी शाखा,
  2. दक्खिनी शाखा, अउरी
  3. पूरबी

एह में अन्तिम शाखा के अन्तर्गत उड़िया, असमिया, बंगाली अउरी बिहारी भाषा सभ के गणना कइल जाला। बिहारी में मैथिली, मगही अउरी भोजपुरी — ई तीन गो क्षेत्रीय भाषा बाड़ी। क्षेत्रविस्तार अउरी भाषाभाषी लोगन की संख्या की आधार पर भोजपुरी अपनी बहिन मैथिली अउरी मगही से बड़ ठहरेले।

उत्तर प्रदेश के भाषा सभ के नक्शा, भोजपुरी सभसे दहिने, गहिरा नीला रंग में
Bihari languages
लाल रंग से — भोजपुरी
गुलाबी — मगही, भूरा गहिरा — मैथिलि, मैरून — अंगिका

क्षेत्र

टेम्पलेट:Main भोजपुरी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिला कुल अउर बिहार राज्य के पछिमही जिला कुल में बोलल जाला। उत्तर परदेश के वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, बस्ती, सिद्धार्थ नगर आदि जिला के रहेवाला आ बिहार राज्य के पुरबी चम्पारण, पछिमी चम्पारण, गोपालगंज, पछिमी मुजफ्फरपुर, सिवान, सारण, आरा, बक्सर, कैमूर आ रोहतास जिला के रहनिहार लोग के माईभाषा भोजपुरी हवे। एकरा अलावें कलकत्ता नगर में, बंगाल के "चटकल" में आ आसाम राज्य के चाय बगान में आ बंबई के अंधेरी-जोगेश्वरी नियन जगह में लाखन के संख्या में भोजपुरी भाषी लोग रहेलें।अतने ना, मारिशस, फिजी, ट्रिनीडाड, केनिया, नैरोबी, ब्रिटिश गायना, दक्खिन अफ्रीका, बर्मा (टांगू जिला) ई सब देश कुल में बड़ संख्या में भोजपुरिया लोग मिलेले।

भारत आ नेपाल के मूल भोजपुरी क्षेत्र के जिलावार बिस्तार:

जिला राज्य/देस जिला राज्य/देस जिला राज्य/देस
कुशीनगर उत्तर प्रदेश महाराजगंज उत्तर प्रदेश गोपालगंज बिहार
गाजीपुर उत्तर प्रदेश मिर्जापुर उत्तर प्रदेश पश्चिम चम्पारण बिहार
गोंडा उत्तर प्रदेश बनारस उत्तर प्रदेश पुर्वी चम्पारण बिहार
गोरखपुर उत्तर प्रदेश सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश बक्सर बिहार
चंदौली उत्तर प्रदेश सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश भभुआ बिहार
जौनपुर उत्तर प्रदेश कपिलवस्तु नेपाल भोजपुर बिहार
देवरिया उत्तर प्रदेश चितवन नेपाल रोहतास बिहार
फैजाबाद उत्तर प्रदेश नवलपरासी नेपाल वैशाली बिहार
बलियाँ उत्तर प्रदेश बारा नेपाल सारण बिहार
बस्ती उत्तर प्रदेश बीरगंज जिला नेपाल सिवान बिहार
बहराईच उत्तर प्रदेश रुपनदेही नेपाल गढ़वा जिला झारखंड
मऊ उत्तर प्रदेश रौतहट नेपाल पर्सा झारखंड
पलामू जिला झारखंड

बोली

  1. आदर्श भोजपुरी
  2. पच्छिमी भोजपुरी
  3. अन्य दू उपबोलि (सब डाइलेक्ट्स) "मधेसी" आ "थारु" के नाम से प्रसिद्ध बा |

आदर्श भोजपुरी

जेकरा के ग्रियर्सन स्टैंडर्ड भोजपुरी कहलेबाड़े ऊ मुख्य रूप से बिहार राज्य के आरा जिला आ उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर जिला के पूर्वी भाग आघाघरा (सरयू) आ गंडक के दोआब में बोलल जाले। ई लम्बा भूभाग में फैलल बा। एकरा में ढ़ेर स्थानीय विशेषता मिलेला। जहाँ शाहाबाद, बलियागाजीपुर आदि दक्षिणी जिला में "ड़" के प्रयोग होला ओहिजे उत्तरी जिला में "ट" के प्रयोग होला। एह प्रकार उत्तरी आदर्श भोजपुरी में जहाँ "बाटे" के प्रयोग होला ओहिजे दक्षिणी आदर्श भोजपुरी में "बाड़े"के प्रयोग होला। गोरखपुर के भोजपुरी में "मोहन घर में बाटें" कहल जाला लेकिन बलिया में "मोहन घर में बाड़ें" कहल जाला। पूर्वी गोरखपुर के भाषा को 'गोरखपुरी' कहल जाला लेकिन पश्चिमी गोरखपुर आ बस्ती जिला के भाषा के "सरवरिया" कहल जाला। "सरवरिया" शब्द "सरुआर" से निकल बा जवन "सरयूपार" के अपभ्रंश रूप ह। "सरवरिया" और गोरखपुरी के शब्द — विशेषत: संज्ञा शब्द-के प्रयोग में भिन्नता मिलेला बलिया (उत्तर प्रदेश) और सारन (बिहार) इ दुनो जिला में 'आदर्श भोजपुरी' बोलल जाला। लेकिन कुछ शब्द के उच्चारण में तनी अन्तर बा। सारन के लोग "ड" का उच्चारण "र" करेले। जहाँ बलिया निवासी "घोड़ागाड़ी आवत बा" कहेले, ओहिजे छपरा या सारन का निवासी "घोरागारी आवत बा" कहिहें। आदर्श भोजपुरी के एकदम निरखत रूप बलियाँ आ आरा में बोलल जाला।

पच्छिमी भोजपुरी

जौनपुर, आजमगढ़, बनारस, गाजीपुर के पच्छिमी हिस्सा आ मिर्जापुर में बोलल जाले। बनारसी भोजपुरी के एगो नीक उदाहरण बा:

हम खरमिटाव कइली हा रहिला चबाय के।
भेंवल धरल बा दूध में खाजा तोरे बदे।।
जानीला आजकल में झनाझन चली रजा।
लाठी, लोहाँगी, खंजर और बिछुआ तोरे बदे।। (तेग अली-बदमाश दपर्ण)

लिखाई

कैथी लिखाई

कैथी लिखाई के नमूना

टेम्पलेट:Main पहिले के समय में उत्तर भारत में उत्तर पश्चिमी इलाका, अवध आ भोजपुरी क्षेत्र में आ नेपाल के मधेस क्षेत्र में आम चलन में कैथी लिखाई के इस्तमाल होखे। एह लिपि में कानूनी दस्तावेज, प्रशासनिक कामकाज के ब्यौरा आ निजी दस्तावेज लिखल जायँ।[११] भोजपुरी लिखे खातिर भी एही के इस्तमाल होखे।

कैथी लिखाई बायें से दाहिने लिखल जाले।[१२]आबूगीडा नियन लिखाई हवे। एह में व्यंजन में स्वर के चीन्हा मिला के लिखल जालें। स्वर के अक्षर सभ के अलग से भी लिखल जा सके ला। स्वर के चीन्हा व्यंजन अक्षर के ऊपर, नीचे आगे आ पाछे (अलग-अलग स्वर अनुसार) लागे लें। कैथी लिपि के एक ठो खासियत हवे कि एह में उपर के पड़ी पाई ना लागे ला।[१३]

बिहार में जमीन के खतियान के रिकार्ड पुरान समय से कैथी लिखाई में बा। आ अभिन ले इनहन के पढ़े खातिर कैथी के जानकार लोग के जरूरत पड़े ला।[१४] वर्तमान में एह लिखाई के बस इहे महत्व रहि गइल बाटे आ बतावल जात बा कि एकरा जानकार लोग के कमी से काफी दिक्कत भी हो रहल बाटे। हाल में कैथी लिपि सिखावे खातिर कुछ कोसिस भइल बा।[१५]

देवनागरी लिखाई

टेम्पलेट:मुख्य

साहित्य

टेम्पलेट:मुख्य भोजपुरी साहित्य में अइसन सगरी साहित्य के रखल जाला जवन भोजपुरी भाषा में रचल गइल बाटे। गोरखनाथ, कबीरदास आ दरिया साहेब नियर संत लोगन के बानी से सुरुआत हो के भिखारी ठाकुरराहुल बाबा के रचना से होत भोजपुरी साहित्य के बिकास आज कबिता, कहानी, उपन्यास आ ब्लॉग लेखन ले पहुँच गइल बाटे। आधुनिक काल के सुरुआत में पाण्डेय कपिल, रामजी राय, भोलानाथ गहमरी नियर लोगन के रचना से वर्तमान साहित्य के रीढ़ मजबूत भइल बा।

भोजपुरी भाषा आ साहित्य के इतिहास लिखे वाला लोगन में ग्रियर्सन, राहुल बाबा से ले के उदय नारायण तिवारी, कृष्णदेव उपाध्याय, हवलदार तिवारी आ तैयब हुसैन 'पीड़ित' नियर बिद्वान लोगन के योगदान बा।टेम्पलेट:Sfn अर्जुन तिवारी के लिखल एकरा साहित्य के इतिहास भोजपुरी भाषा में मौजूद बा।

मीडिया

सिनेमा

टेम्पलेट:Main

भोजपुरी भाषा में बने वाला फिलिम सभ के भोजपुरी सिनेमा के रूप में जानल जाला। पहिली भोजपुरी फिलिम विश्वनाथ शाहाबादी के गंगा मइया तोहें पियरी चढ़इबों रहे जेवन 1963 में रिलीज भइल रहे।[१६] अस्सी के दशक में कई ठे उल्लेख जोग भोजपुरी फिलिम रिलीज भइली जिनहन में बिटिया भइल सयान, चंदवा के ताके चकोर, हमार भौजी, गंगा किनारे मोरा गाँव, आ सम्पूर्ण तीर्थ यात्रा। पुराना समय में भोजपुरी फिलिम बनावे के काम भी बंबई में भोहोखत रहे आ ई बॉलीवुड के एक ठो हिस्सा के रूप में बनावल जायँ। हालाँकि, अब एह फिलिम सभ के निर्माण भोजपुरी इलाका में भी हो रहल बा आ गोरखपुर, बनारसपटना नियन छोट शहर भी एह इंडस्ट्री के हिस्सा बन चुकल बाड़ें।

भोजपुरी फिलिम के मुख्य दर्शक समूह पूरबी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंडनेपाल के मधेस इलाका में बा लोग जेन्ने के ई भाषा हवे। एकरे अलावा आउर सभ नगर में रहे वाला भोजपुरी भाषी लोग बा। एही चलते भोजपुरी सिनेमा के दर्शक यूरोप आ अमेरिकी देस सभ में भी बा आ सूरीनाम नियरन देस सभ में भी जेन्ने भोजपुरी बोलल जाले।[१६]

मानवाधिकारन के घोषणा

सन्यक्त राष्ट्र संघ देने से मानवाधिकारन के घोषणा बिस्व के 154 भाषा में कईल गईल बा, जे मे भोजपुरी आउर सूरीनामी हिन्दुस्तानी बा। सूरीनामी हिन्दुस्तानी भाषा सूरीनाम में बोलल जाला, ई एकदम भोजपुरिए नीयन हऽ खाली एकरा रोमन लिपि में लिखल जाला। संयुक्त राष्ट्र संघ देने से कईल मानवाधिकारन के घोषणा के पहिला अनुच्छेद भोजपुरी में नीचे लिखल बा[१७]:

अनुच्छेद 1: सबहि लोकानि आजादे जन्मेला आउर ओखिनियो के बराबर सम्मान आओर अधिकार प्राप्त हवे। ओखिनियो के पास समझ-बूझ आउर अंत:करण के आवाज होखता आओर हुनको के दोसरा के साथ भाईचारे के बेवहार करे के होखला।

अनुच्छेद 1: सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त हैं। उन्हें बुद्धि और अन्तरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिये।

संबिधनिया दर्जा के माँग

टेम्पलेट:Main भोजपुरी भाषा बोले वाला लोग बहुत लामा समय से एह भाषा के भारत में संबिधनिया भाषा के दर्जा देवे ला माँग कर रहल बाड़ें। कय बेरा ई बात संसद में उठावल जा चुकल बा।[१८] कइयन बेर एकरा ला धरना-परदरसन कइल जा चुकल बाटे।

भारत के संबिधान में आठवा अनुसूची में बर्तमान में कुल 22 गो भाषा दर्ज बाड़ी। जबकि एह में भोजपुरी नइखे। एह चलते भारत में भोजपुरी भाषा के आधिकारिक तौर पर भाषा ना मानल जाला बलुक एकरा के हिंदी के बोली मानल जाला। भोजपुरी के भाषा ना माने के कारण के रूप में हिंदी के साम्राज्यवाद[१९][२०] आ हिंदी भाषी लोग के संख्या बढ़ा-चढ़ा के देखावे के कोशिश मानल जाला, जबकि हिंदी के वकालत करे वाला लोग भोजपुरी के भाषा के दर्जा देवे के माँग के हिंदी के अबर करे खातिर षडयंत्र माने ला अ एकर बिरोध करे ला।[२१]

मार्च 2017 में राज्यसभा में एह मुद्दा के जदयू के नेता अनवर अंसारी उठवलें आ ई कहलें की देस भर में प्राथमिक शिक्षा खातिर लइकन के महतारी भाषा के इस्तमाल होखे के चाहीं।[१८][२२] हालाँकि, ई पहिला बेर नइखे आ एकरा पहिलहुं भोजपुरी के आठवा अनुसूची में शामिल करे के माँग कइल जा चुकल बाटे।[२३]

इहो देखल जाय

संदर्भ

टेम्पलेट:Reflist

स्रोत ग्रंथ

टेम्पलेट:Bhojpuri टेम्पलेट:Authority control

  1. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named ethnonepal
  2. Nepali Constitution 2015 टेम्पलेट:Webarchive PDF
  3. टेम्पलेट:Cite web For items below #20, see individual Ethnologue entry for each language.
  4. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named census2011
  5. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named ethno_bho
  6. http://www.bhojpuri.us
  7. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named vajpeyi
  8. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named tripathiH
  9. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named bholanath
  10. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named Sharma2008
  11. King, Christopher R. 1995. One Language, Two Scripts: The Hindi Movement in Nineteenth Century North India. New York: Oxford University Press.
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