सुंदरलाल बहुगुणा
टेम्पलेट:Infobox person सुंदरलाल बहुगुणा (9 जनवरी 1927 — 21 मई 2021)[१][२] एगो एक्टिविस्ट, गाँधीवादी आ पर्यावरणवादी रहलें। गढ़वाल हिमालय के इलाका में 1970 के दशक में पर्यावरण बचावे आ पेड़ के कटाई रोके खातिर इनके आंदोलन चिपको आंदोलन के नाँव से परसिद्ध भइल।
इनके पर्यावरण आंदोलन के खाली भारते ना बलुक पुरा बिस्व में पहिचान मिलल। भारत सरकार बाद में इनके पद्म विभूषण से सम्मानित कइलस जे भारत के दुसरा सभसे ऊँच नागरिक सम्मान हवे। एकरे अलावा इनके जमनालाल बजाज पुरस्कार आ परसिद्ध राइट लाइवलिहुड अवार्ड मिलल रहल।
21 मई 2021 के ऋषिकेश के एम्स में इनके 94 बरिस के उमिर में निधन भ गइल। इनके एहिजे कोविड-19 के इलाज खातिर भर्ती करावल गइल रहल।
सुरुआती जिनगी
सुंदरलाल बहुगुणा के जनम 9 जनवरी 1927 के तत्कालीन ब्रिटिश भारत के टेहरी गढ़वाल जिला के मारोदा गाँव में भइल रहे।
सुरुआती आंदोलन
बहुगुणा सामाजिक एक्टिविस्ट के रूप में अपना भूमिका के सुरुआत बस तेरह बरिस के उमिर में श्री देव सुमन के संरक्षण में शुरू कइले रहलें जे अहिंसा के सनेसा फइलावे के काम करें।[३] सुरुआत में बहुगुणा अछूत परंपरा के खिलाफ लड़ाई शुरू कइलेन। बहुगुणा भारत के आज़ादी के आंदोलन में लोगन के अगुवाई कइलेन [४] भारत के आज़ादी के समय ई उत्तर प्रदेश के कांग्रेस से जुड़ल रहलें।[५] ओकरे बाद पहाड़ी औरतन के एकट्ठा क के शराब के खिलाफ आंदोलन शुरू कइलेन, 1965 से 1970 के दौरान।[६]
बहुगुणा गाँधीवादी बिचारधारा अपना लिहले रहलें आ अपनी पत्नी विमला से एही शर्त पर बियाह कइले रहलें कि दुनों जन देहात के इलाका में रह के जिनगी बिताई आ गाँव में आश्रम के अस्थापना करी।[४] गाँधी के बिचार से परभावित बहुगुणा उत्तराखंड में लगभग 4,700 किलोमीटर के जतरा पैदल कइलें जेह में उनके बड़-बड़ प्रोजेक्ट सभ से हिमालय के नाजुक इकोसिस्टम पर पड़े वाला परभाव देखलाई पड़ल आ एहिजे के गाँवन के सामाजिक-आर्थिक समस्या समुझे में मदद मिलल।[४]
चिपको आंदोलन
टेम्पलेट:Main चिपको आंदोलन, 26 मार्च 1974 के शुरू भइल एगो जनआंदोलन रहे जे उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाका सभ में (आज के उत्तराखंड) अपने-आप लोकल लोगन द्वारा शुरू भइल। ई आंदोलन लकड़ी के ठीकेदार लोगन के जंगल आ पेड़ के कटाई के खिलाफ रहे। आंदोलन में हिस्सा लेवे वाला लोग पेड़ सभ के काटे से बचावे खातिर पेड़ से जा के सपट जाय आ आपन बिरोध दर्ज करावे।[७] बहुगुणा एह आंदोलन से जुड़ गइलें आ नारा दिहलें "Ecology is permanent economy" (अरथ: पारितंत्र परमानेंट अर्थबेवस्था हवे)। बहुगुणा एह आंदोलन खाती समर्थन जुटावे निकल पड़लें आ 5,000-किलोमीटर के हिमालय जतरा शुरू कइलेन[४] जे 1981 से 1983 ले चलल जेह में गाँव-गाँव जा के लोगन से भेंट-मुलाकात क के एह आंदोलन खाती समर्थन माँगल गइल। एही के बाद बहुगुणा तत्कालीन परधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिललें आ एह मीटिंग के परिणाम रहल कि हरियर पेड़ काटे पर 15-बरिस के प्रतिबंध 1980 में लगावल गइल।[८] बहुगुणा चिपको आंदोलन के प्रमुख नेता गौरा देवी के संपर्क में नजदीकी से रहलें।[९] एही आंदोलन के समय एगो अउरी पर्यावरणी नेता चंडीप्रसाद भट्ट से इनके जुड़ाव आ सहजोग भइल।
टिहरी बाँध के बिरोध
बहुगुणा टिहरी में शुरू भइल बाँध प्रोजेक्ट के शुरू से खिलाफ रहलें आ एकरा बिरोध में अहिंसक सत्याग्रह आ अनशन कइलें।[१०] 1995 में बहुगुणा 45-दिन ले अनशन पर रहलें जेकरे बाद तत्कालीन परधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हाराव वादा कइलें कि बान्ह के इकोलोजिकल परभाव के आकलन करे खाती समीक्षा समीति बनावल जाई। एकरे बादो बहुगुणा दुसरा अनशन दिल्ली में राजघाट पर 74-दिन के कइलेन,[११] जब एच. डी. देवेगौड़ा के सरकार रहल आ देवेगौड़ो पर्सनल आश्वासन दिहलें कि समीक्षा कइल जाई। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट में एक दशक से बेसी ले चलल केस में 2001 में फैसला आइल आ काम शुरू हो गइल।
अंत में, 2004 में बान्ह में पानी भरा गइल आ 31 जुलाई 2004 के बहुगुणा के टिहरी के ई इलाका छोड़ देवे के परल। टिहरी बाँध के भीतर बूड़े वाला गाँव सभ में इनहूँ के गाँव रहल। बाद में ई उत्तराखंड के राजधानी देहरादून आ गइलें आ अपनी पत्नी के साथे इहँवे रहत रहलें।[८]
सुंदरलाल बहुगुणा हिमालय आ हिमालय पर बसे वाला पहाड़ी लोगन के सबल रक्षक रहलें। ई भारतीय नदी सभ के बचावे खाती भी सक्रिय रहलें।[१२][१३]
निधन
बहुगुणा के 8 मई 2021 के ऋषिकेश के एम्स में दाखिल करावल गइल, जब ऊ कोविड-19 महामारी के चलते कोरोना पाजिटिव पावल गइल रहलें। एहिजे इलाज के दौरान 21 मई 2021 के 94 बरिस के उमिर में इनके निधन भ गइल।[१४][१५][२]
पुरस्कार, अवार्ड आ सम्मान
- 1981: पद्म श्री, भारत सरकार द्वारा दिहल गइल जेकरा लेवे से इनकार क दिहलें।[१६]
- 1987: राइट लाइवलिहुड अवार्ड (चिपको आंदोलन खातिर)[७]
- 1986: जमनालाल बजाज अवार्ड, रचनात्मक काम खातिर[१७]
- 2009: पद्म विभूषण, भारत सरकार द्वारा, पर्यावरण संरक्षण खातिर[१८][१९]
किताब
- इंडियाज एनवायरनमेंट: मिथ & रियलिटी — वंदना शिवा आ मेधा पाटेकर के साथे[२०]
- एनवायरनमेंटल क्राइसिस एंड ह्यूमंस एट रिस्क — राजीव सिन्हा के साथे[२०]
- भू प्रयोग में बुनियादी परिवर्तन की ओर[२०]
- धरती की पुकार[२०]
- दि रोड टू सर्वाइवल (2009)[२१]
बहुगुणा के ऊपर लिखल किताब
- इकोलॉजी इस़ परमानेंट इकोनॉमी: दि एक्टिविज्म एंड एनवायरनमेंटल फिलोसफी ऑफ़ सुंदरलाल बहुगुणा - जॉर्ज अल्फ्रेड जेम्स [२२]
संदर्भ
बाहरी कड़ी
- ↑ टेम्पलेट:Cite news
- ↑ २.० २.१ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ टेम्पलेट:Cite book
- ↑ ४.० ४.१ ४.२ ४.३ टेम्पलेट:Cite news
- ↑ टेम्पलेट:Cite book
- ↑ Sunderlal Bahuguna टेम्पलेट:Webarchive culturopedia.com.
- ↑ ७.० ७.१ Chipko टेम्पलेट:Webarchive Right Livelihood Award Official website.
- ↑ ८.० ८.१ Bahuguna, the sentinel of Himalayas by Harihar Swarup, दि ट्रिब्यून, 8 जुलाई 2007.
- ↑ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ Big Dam on Source of the Ganges Proceeds Despite Earthquake Fear New York Times, 18 September 1990.
- ↑ "If the Himalayas die, this country is nowhere" टेम्पलेट:Webarchive. An Interview with Sunderlal Bahuguna with Anuradha Dutt (1996 Rediff Article). Uttarakhand.prayaga.org. Retrieved on 1 May 2012.
- ↑ 'My fight is to save the Himalayas' टेम्पलेट:Webarchive Frontline, Volume 21 – Issue 17, 14– 27Aug 2004.
- ↑ Bahuguna टेम्पलेट:Webarchive uttarakhand.prayaga.org
- ↑ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ टेम्पलेट:Cite news
- ↑ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ २०.० २०.१ २०.२ २०.३ टेम्पलेट:Cite web
- ↑ टेम्पलेट:Cite book
- ↑ टेम्पलेट:Cite book