कालिदास

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टेम्पलेट:Infobox writer कालीदास (संस्कृत: कालिदास) प्राचीन भारतीय कवी रहलें, इनके संस्कृत भाषा के एगो महान कवि आ नाटककार मानल जाला। कालीदास कई गो नाटक आ काव्यरचना सभ के संस्कृत साहित्य में सभसे ऊँच जगह दिहल जाला, इनहन में से कुछ यूरोपीय भाषा सभ में अनुबाद होखे वाली संस्कृत के सभसे पहिला रचना हईं।

कालिदास के जनम स्थान आ समय के बारे में कई मत चलन में बा, हालाँकि ज्यादातर लोग उनके चउथी-पांचवी सदी ईसवी में भइल माने ला।[१]

जिनगी

समय

कालिदास इतिहास के कवना काल में रहलें एह बारे में बिद्वान लोग आपस में एकमत नइखे। सभसे पहिले अगर ई देखल जाय कि सभसे पुरान समय आ सभसे नया समय, मने कि समय के अवधि के सीमा का बा। इनके लिखल नाटक मालविकाग्निमित्रम् से सभसे पुराना सीमा तय होखे में मदद मिले ला। एह नाटक में मुख्य किरदार शुंग बंस के राजा अग्निमित्र बाड़ें, बतावल जाला कि अग्निमित्र, मौर्यबंस के बिनास क के शुंग बंस के अस्थापना करे वाला राजा पुष्यमित्र शुंग के बेटा रहलें आ पुष्यमित्र के शासनकाल 158 ई॰पू॰ में शुरू भइल रहल जबकि अग्निमित्र के काल 150 ई॰पू॰ मानल जाला। एह तरीका से कालिदास जब अगर एह राजा के बरनन अपना नायक के रूप में करे लें तब कालिदास इनसे पहिले के ना हो सके लें, मने कि कालिदास 150 ई॰पू॰ से पहिले ना भइल होखिहें। एकरा बाद, सभसे बाद के सीमा के बारे में खोज क के ई बतावल गइल बा कि कालीदास बाणभट्ट के पहिले भइल होखिहें काहें से कि बाणभट्ट इनके अपना काब्य हर्षचरितम् में बड़ा आदर से इयाद कइले बाने आ इनके सूक्ति के तारीफ कइले बाने।टेम्पलेट:Efn बाण खुद सम्राट हर्ष के सभा में कवी रहलें आ हर्ष के काल 606 ई से शुरू मानल जाला, मने कि कालिदास एकरे पहिलहीं भइल होखिहें। दूसर परमान कर्नाटक राज्य के एहोल-शिलालेख से मिले ला जेकरा में जैन कबी रविकीर्ति अपना के कालिदास आ भारवि के समान यशस्वी कहले बाड़ें।टेम्पलेट:Efn एहू से परमान के बल मिले ला काहें कि एहोल-शिलालेख 634 ई बतावल जाला।टेम्पलेट:Sfn एह समय के एगो अन्य परमान के आधार पर अउरी पाछे खसकावल जा सके ला, काहें कि मंदसौर अभिलेख पर कालिदास के लेखन शैली के परभाव निर्बिबाद रूप से स्वीकार कइल जाला आ ई अभिलेख 473 ई॰ के हवे।टेम्पलेट:Sfn

जनमअस्थान

कालिदास मूल रूप से कहाँ के रहलें एकरे बारे में तीन गो प्रमुख मत बा, हिमालय के क्षेत्र के रहलें, उज्जैन के रहलें या कलिंग के रहलें। एह तीनों मत के कारण के रूप में कुमारसंभवम् में हिमालय के बेहतरीन बर्णन, मेघदूतम् में उज्जैन के खातिर उनके खास लगाव, आ रघुवंशम् काव्य में कलिंग के राजा के बारे में बहुत तारीफ़ भरल बिबरन के गिनावल जाला।

कथा-किंबदंती

कालीदास की जीवन की बारे में बहुत कुछ मालुम नइखे। जेतना पता बा कथा-कहानी आ उनके रचना सभ में से अनुमान पर आधारित बाटे।

एक ठो किंबदंती कालिदास आ बिद्योतमा के ले के मिले ला। एह कहानी में बतावल जाला कि सुरुआत में कालिदास एकदम्मे मुरुख रहलें। ओह समय के एगो बहुते बिदुसी औरत बिद्योतमा रहली जे शर्त रखले रहली कि जे उनुका शास्त्रार्थ में हरा दी ओही से बियाह करिहें। उनका से जब केहू ना जीत पावल तब पंडित लोग खिसिया के षडयंत्र कइल कि एकर बियाह कौनों मुरुख से करावल जाई। खोजत-खोजत कालिदास भेंटा गइलें जे जवना डाढ़ पर बइठल रहलें ओही के काटत रहलें। पंडित लोग के ई एकदम सही आदमी लगलें आ इनके धरि के ले गइल लोग आ बिद्योतमा के शास्त्रार्थ खाती चुनौती दिहल। कहल गइल कि ई महान पंडित हवें बाकी मौन बरत लिहले बाने आ इशारा में जबाब दिहें। शास्त्रार्थ इशारा में भइल आ छल से पंडित लोग एह इशारेबाजी के अइसन ब्याख्या कइल कि बिद्योतमा हार मान लिहली। बाद में जब भेद खुल गइल बिद्योत्तमा कालिदास के बहुत धिक्कार कइली आ कालिदास देवी के भक्त बन के बिद्या हासिल कइलें।टेम्पलेट:Sfn

रचना

कालिदास के नाटक के पात्र शकुंतला के राजा रवि वर्मा द्वारा एगो चित्र
  • अभिज्ञानशाकुन्तलम्
  • विक्रमोर्वशीयम्
  • कुमारसंभवम्
  • रघुवंशम्
  • मेघदूतम्
  • ऋतुसंहारम्

साहित्यिक समालोचना

कालीदास के बिस्व के महान कबी आ नाटककार लोग में गिनल जाला। कालिदास अपना रचना में भारतीय पुराण आ भारतीय दर्शन के आधार बना के कथा, बिबरन आ अलंकार बिधान कइले बाने। भारतीय चेतना के इनका रचना सभ में एतना सुघर निरूपण होखे के कारण कुछ बिद्वान लोग इनका के राष्ट्र कवि के दर्जा देवे लें।[२]

कालिदास वैदर्भी रीति के कवी हवें।[३] एह रीति के कविता के बिसेसता छोट समास वाली, सहज सुघर आ अलंकार योजना वाली भाषा प्रमुख चीज हवे। कालिदास के प्रकृति वर्णन खास हवें आ बिसेस रूप से इनका के उपमा अलंकार के प्रयोग खातिर जानल जाला।[४] साहित्य में औदार्य गुण के बदे कालिदास के बिसेस परेम हवे आ ऊ अपना शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी आदर्शवादी परंपरा आ नैतिक मूल्य के यथा उचित धियान रखले हवें।

कालिदास के बाद के परसिद्ध कवी बाणभट्ट ने उनके सूक्ति सभ के बिसेस रूप से तारीफी कइले बाने।[५]

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नोट

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संदर्भ

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स्रोत ग्रंथ

टेम्पलेट:Authority control

  1. Encyclopædia Britannica. "Kalidasa (Indian author)".
  2. हजारी प्रसाद द्विवेदी, राष्ट्रीय कवि कालिदास , हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली, गूगल पुस्तक (पहुँच तिथि: 15 जुलाई 2014)।
  3. आचार्य लिखले बाड़ें कि कालिदास वैदर्भी रीति के सर्वोच्च प्रतिष्ठाता हवें --
    लिप्ता मधुद्रवेणासन् यस्य निर्विषया गिरः।
    तेनेदं वर्त्म वैदर्भ कालिदासेन शोधितम्॥
  4. "उपमा कालिदासस्य, भारवेरर्थगौरवम्..."
  5. "निर्गतासु न वा कस्य कालिदासस्य सूक्तिसु। प्रीतिर्मधुर सान्द्रासु...।।" -- बाणभट्ट, हर्षचरितम्।