पठार
पठार (टेम्पलेट:Lang-en, highland, या tableland) आसपास के जमीन से ऊँचाई पर मौजूद, ऊपर से सपाट आ पर्याप्त बिस्तार वाला जमीनी हिस्सा होला, जेकरा कम से कम एक ओर तेज ढाल वाला किनारा होला।[१][२][३][४] पृथ्वी के सतह के कौनों हिस्सा के पठार कहल जाए की पाछे प्रमुख बिसेसता एकर आसपास के धरातल से ऊँच होखल आ साथे-साथ अपने आप में कम ऊँचाई-निचाई वाला यानि सपाट सतह वाला होखल बाटे। ढेर ऊँचाई (इलेवेशन) आ कम उच्चावच (रेलीफ़) के पठार क प्रमुख बिसेसता मानल जाला।[५] पठार, मैदान आ पहाड़ के भूआकृति बिज्ञान में दूसरा श्रेणी (सेकेंड ऑर्डर)के थलरूप मानल जाला।[६][७]
पठार, अक्सरहा खनिज पदार्थ खातिर महत्वपूर्ण होलें, काहें से की ज्यादातर पठार पुरान आग्नेय चट्टान के बनल हिस्सा हवें आ इहाँ तरह-तरह के खनिज पावल जाने। भारत के दक्खिनी हिस्सा अइसने पठार हवे।
उतपत्ती
पठार कई तरह के भूबैज्ञानिक/भूआकृतिक प्रक्रिया द्वारा बनल हो सके लें। नीचे कुछ कारण आ उनहन से निर्मित पठार के उदाहरण दिहल जात बाटे:
- टेक्टॉनिक हलचल द्वारा ऊपर उठल भूमि - तिब्बत के पठार,
- ज्वालामुखी लावा के बहाव से बनल पठार - दक्कन के पठार,
- प्राचीन ग्रेनाइट शील्ड के हिस्सा - साइबेरिया के पठार, प्रायदीपीय भारत के पठार।
- पवन द्वारा माटी के जमाव से - लोयस पठार।
बर्गीकरण
- अंतरपरबती पठार (इंटरमोंटेन) - तिब्बत के पठार
- परबतपदी पठार (पीडमोंट) - अप्लेशियन पठार
- लावा पठार
- शील्ड पठार/रेलिक्ट प्लेटू
- पवन निर्मित पठार