फ़िराक़ गोरखपुरी

भारतपीडिया से
Jump to navigation Jump to search

टेम्पलेट:Infobox writer फ़िराक़ गोरखपुरी (जनम: रघुपति सहाय, 28 अगस्त 1896 - 3 मार्च 1982) एगो भारतीय शायर, लेखक आ साहित्यिक समालोचक रहलें। उर्दू साहित्य में इनके योगदान ग़ज़ल, नज़्म, रुबाई, दोहा नियर बिधा में रहल आ कई गो समालोचना के किताब भी छपल; हालाँकि मुख्य रूप से इनके ग़ज़ल कहे वाला शायर के रूप में पहिचान हवे।टेम्पलेट:Sfn साहित्यिक हल्का में इनके फ़िराक़ साहब के नाँव से जानल जाय आ पेशा से ई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंगरेजी साहित्य के लेक्चरर रहलें।

गोरखपुरी के रचना सभ में गुल-ए-नग्मा, रूह-ए-क़ायनात, रूप (रुबाई संग्रह), बज़्मे-ज़िंदगी रंगे-शायरी प्रमुख बाड़ी सऽ। 1960 में इनके साहित्य अकादमी अवार्ड, 1968 में पद्म भूषण आ सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड, आ 1969 में भारत के सभसे बड़ साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलल।

लमहर बेमारी के बाद नई दिल्ली में, 3 मार्च 1982 के, 85 बरिस के उमिर में इनके निधन भ गइल।

रचना

शायरी
  • गुल-ए-नग्मा,
  • गुल-ए-रा'ना,
  • मशाल,
  • रूह-ए-क़ायनात,
  • शबनमिस्तान,
  • सरगम
  • रूप (रुबाई संग्रह),
  • बज़्मे-ज़िंदगी रंगे-शायरी
समालोचना
  • उर्दू की इश्किया शायरी
  • उर्दू ग़ज़ल

सम्मान

  • 1960 – साहित्य अकादमी अवार्ड (उर्दू भाषा में)
  • 1968 – पद्मभूषण[१]
  • 1968 – सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड
  • 1969 – ज्ञानपीठ सम्मान (उर्दू साहित्य में पहिला ज्ञानपीठ)[२]
  • 1970 – साहित्य अकादमी फेलोशिप
  • 1981 – ग़ालिब अकादमी अवार्ड

टेम्पलेट:Clear

संदर्भ

टेम्पलेट:Reflist

स्रोत

टेम्पलेट:Poet-stub