मेहराब

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मेहराब (टेम्पलेट:Lang-en, आर्च ) एगो गोलाईदार ढाँचा होला जे आमतौर पर वजन के सपोर्ट करे खातिर बनावल जाला। खड़ा-खड़ी दू गो अलम भा खम्हा के बीचा में गोलाईदार मेहराब के ऊपर से पुल बनावे चाहे ऊपर देवाल बनावे के पुरान इतिहास रहल बा आ अइसन मेहराबदार पुल बहुत पुराना समय से बन रहल बाड़ें।

हालाँकि, मेहराब के ऊपर कौनों वजन होखल जरूरी ना बा। हमेशा ई गोलाई में होखे इहो जरूरी ना बा बलुक गोथिक इस्टाइल के मेहराब अक्सर बीचा में नोकदार होखें।

खड़ा-खड़ी (वर्टिकल) के अलावा मेहराब बेड़ा-बेंड़ी भी बनावल जा सके ला जइसे कि मेहराबदार बंधा में। ई बंधा अइसन मेहराब के रूप में बनावल जालें कि ऊ पानी के वजन के रोक सके ला।

प्राचीन भारत के भवन-निर्माता लोगन के मेहराब के ज्ञान रहल। हालाँकि, इतिहासकार लोगन में एह बात पर बिबादो बा आ कुछ लोग ई साबित करे ला कि मेहराब के ज्ञान भारत में सिकंदर के जमाना में आइल।[१] कुछ लोगन के मानल ई बा कि भारत में पहिली बेर बैज्ञानिक तरीका से मेहराब के इस्तेमाल सल्तनत काल में भइल।[२]

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संदर्भ

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