साहिर लुधियानवी

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टेम्पलेट:Infobox writer साहिर लुधियानवी (जनम नाँव: अब्दुल हई; 8 मार्च 1921 – 25 अक्टूबर 1980) एगो भारतीय कवी आ गीतकार रहलें। हिंदी सिनेमा में गीतकार के रूप में साहिर के नाँव से परसिद्ध रहलें आ साहित्यिक शायरी मुख्य रूप से उर्दू भाषा में कइलेन। गीतकार के रूप में इनका के दू बेर फिल्मफेयर पुरस्कार मिलल आ भारत सरकार द्वारा इनके साहित्यिक शायरी आ गीत सभ खाती कला के क्षेत्र में, 1971 में पद्मश्री सम्मान दिहल गइल।

जिनगी

साहिर लुधियानवी इनके शायर आ गीतकार के रूप में उपनाँव भा कलम के नाँव हवे। इनके जनम नाँव अब्दुल हयी रहल आ इनके जनम 8 मार्च 1921 के पंजाब राज्य (ब्रिटिश राज में अबिभाजित पंजाब) के लुधियाना में भइल। इनके जनम एगो धनी मुसलमान जमींदार फ़जल मोहम्मद के घरे भइल आ इनके महतारी के नाँव सरदार बेगम रहल जे एगो काश्मीरी परिवार से रहली। बाद में, 1934 में जब साहिर के उमिर 13 बरिस रहल इनके बाबूजी दुसरा बियाह कइलेन आ एकरे बाद इनके महतारी सरदारी बेग़म आ बाबूजी में अलगाव भ गइल। साहिर के पालन के जिम्मेदारी इनके महतारी के मिलल, हालाँकि इनके बाबूजी कोर्ट में केस भी दायर कइलें कि साहिर के उनुका के सौंपल जाय, बाकी केस हार गइलें। एकरे बाद के बचपन आर्थिक तंगी में बीतल।

साहिर के सुरुआती पढ़ाई लुधियाना के खालसा हाई स्कूल में भइल आ कॉलेज के पढ़ाई खाती ई एस सी धवन कॉलेज लुधियाना में एडमीशन लिहलें। एह कालेज से इनके निकाल दिहल गइल आ ओकरे बाद ई लाहौर जा के 1943 में दयाल सिंह कॉलेज में एडमिशन लिहलें। एही दौर में इनके शेरो-शायरी भी शुरू भ गइल रहे आ राजनीतिक जुड़ाव भी। छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुनल गइलें आ 1945 में इनके किताब तल्ख़ियाँ भी छपल। एही समय में इनके लगाव अमृता प्रीतम से भइल।

1947 में भारत-पाकिस्तान के बँटवारा भ चुकल रहल, साहिर एकरे बाद अपना साथे अपना माताजी के भी लुधियाना से लाहौर ले अइलें। उहाँ साहित्यिक पत्रिका सभ के संपादन करत रहलें जब इनके लेखन आ इनके पार्टी ह्यूमनिस्ट सोशलिस्ट पार्टी के बिचारधारा पाकिस्तानी सरकार के भल ना लागल आ इनके खिलाफ वारंट जारी भ गइल। एह बिबाद के बाद 1948 (भा 1949) में साहिर भारत आ गइलें,[१][२] कुछ दिन दिल्ली में रहलें आ फिर बंबई चल गइलें।

बंबई में इनके गीतकार के रूप में परसिद्धी मिलल आ अंत समय ले ओहिजे रहलें। 25 अक्टूबर 1980 के इनके हार्ट-अटैक आइल आ इनके निधन भ गइल। इनके जुहू कब्रिस्तान में दफन कइल गइल। साल 2010 में इनकर कब्र, कई अउरी परसिद्ध लोगे के साथ, ढहा दिहल गइल जवना से कि नया कब्र सभ बनावल जा सके।[३][४]

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संदर्भ

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