सौर मंडल

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सौर मण्डल क ग्रह (ख़ाली क्रम आ आकार सही पैमाना पर दूरी ना)
सौर मण्डल की ग्रहन की आकार क तुलना - बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध

सौर मंडल सूर्य आ एकरी चारों ओर चक्कर लगावेवाला ग्रह आ उन्हन की उपग्रह कुल से मिल के बनल परिवार के कहल जाला। वर्तमान समय में सूर्य क आठ गो ग्रह बाड़ें काहें से कि नौवां ग्रह प्लूटो के 2006 में अनियमित आकार की कक्षा की कारण ग्रहन की लिस्ट से बाहर क दिहल गइल। अब प्लूटो के बौना ग्रह कहल जाला।[१]

सूर्य की ओर से क्रम से बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस (अरुण) अउरी नेपच्यून (वरुण) इहे आठ गो ग्रह बा। सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति हवे आ सबसे छोट बुध। मंगल आ बृहस्पति के बीच में छोट छोट पिंड सभ के पेटी पावल जाले आ एह पिंड सभ के एस्टेरॉइड्स कहल जाला।

सुरुज

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सुरुज आ ग्रह सभ के आकार के तुलना

सुरुज सौर मंडल के तारा हवे आ बाकी सभ सौरमंडली पिंड सभ के तुलना में सभसे ढेर वजनदार, बाकी सभ से बहुते ढेर वजन वाला पिंड हवे। एकर बिसाल द्रब्यमान (332,900 पृथिवी के बरोबर)[२] एकरे कोर में अतना ढेर तापमान आ दाब बना देला कि हाइड्रोजन के हीलियम में बदलाव के काम परमाणु फ्यूजन द्वारा होखे ला आ एही कारण ई मेन सीक्वेंस तारा हवे।[३] एह कारण भारी मात्रा में ऊर्जा रिलीज होले जेकर ज्यादातर हिस्सा बाहरी अंतरिक्ष में रेडियेशन के रूप में फइले ला आ एह रेडियेशन के सभसे ढेर मात्रा प्रकाश (विजिबल लाइट) के रूप में होले।[४]

सुरुज जी-प्रकार के मेन-सीक्वेंस तारा हवे। अउरी ढेर गरम मेन-सीक्वेंस तारा सभ ज्यादा चमकदार होलें। सुरुज के तापमान सभसे गरम तारा सभ आ सभसे ठंढा तारा सभ के बीच में हवे। सुरुज से ढेर ताप आ दमक वाला तारा बहुत कंचित-कला पावल जालें, जबकी एकरे ले बहुत कम चमक आ ताप वाला तारा, जिनहन के रेड ड्वार्फ कहल जाला, आकाशगंगा के कुल तारा सभ के 85% हिस्सा हवें।[५][६]

सुरुज पापुलेशन I तारा हवे; एकरे ले पुरानका पापुलेशन II तारा सभ के तुलना में एह में हाइड्रोजन आ हीलियम से भारी तत्व (खगोलीय पैरालांस में धातु) के मात्रा ढेर पावल जाले।[७] हाइड्रोजन आ हीलियम से भारी तत्व सभ के निर्माण प्राचीन आ बिस्फोटित हो रहल तारा सभ के कोर में भइल, एही से ब्रहमांड में एह पदार्थ सभ के बहुतायत (एनरिचमेंट) खाती एह तारा सभ के मुर्दा होखे के परल होखी। सभसे पुराण तारा सभ में सबसे कम धातु मिले ला, जबकि बाद के तारा सब में ज्यादा। धातु यानी मेटल के मौजूदगी सुरुज के चारों ओर ग्रह मंडली के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण रहल होखी अइसन अनुमान लगावल जाला काहें से कि ग्रह सभ के उत्पत्ती "मेटल" सभ के एकट्ठा होखे से होला।[८]

अंदरूनी सौरमंडल

अंदरूनी सौरमंडल में सौरमंडल के अइसन हिस्सा आवे ला जे में टेरेस्ट्रियल ग्रहएस्टेरॉइड पेटी के शामिल कइल जाला।[९] एह अंदरूनी भा भीतरी सौरमंडल के पिंड सभ सिलिका वाला पदार्थ आ धातु सभ से बनल हवें आ तुलना में ई सुरुज के नजदीक बाने; एह पूरा क्षेत्र के त्रिज्या (रेडियस) बृहस्पति आ शनी के कक्षा के अंतर (बीच के दूरी) से भी कम बा। ई इलाका बर्फ रेखा (फ्रॉस्ट लाइन) के भितरे पड़े ला जे सुरुज से करीब 5 एयू के दूरी से कुछ कम (लगभग 700 मिलियन किलोमीटर या 70 करोड़ किलोमीटर) दूरी तक ले मानल जाले।[१०]

टेम्पलेट:Anchor भीतरी ग्रह

टेम्पलेट:मुख्य लेख

भीतरी ग्रह, बायें से दाहिने: पृथ्वी, मंगल, शुक्र, आ बुध (पैमाना अनुसार साइज में)।

चार गो भीतरी ग्रह (इनर प्लैनेट) सभ के रचना चट्टानी पदार्थ से भइल हवे; प्राकृतिक उपग्रह नामौजूद बाने या फिर बहुत कम बाने, कौनों छल्ला इनहन के चारो ओर ना मिले लें। इनहन के रचना में रिफ्रेक्शन वाला मटेरियल के बहुलता बा जइसे की सिलिकेट पदार्थ सभ जिनहन से एह ग्रहन के ऊपरी परत - क्रस्ट, आ बिचली परत - मैंटल, के निर्माण भइल हवे, आ धातु वाला पदार्थ जइसे कि लोहा आ निकेल से इनहन के सभसे अंदरूनी भाग - कोर के निर्माण भइल हवे। चार गो भीतरी ग्रह सभ में से तीन गो (शुक्र, मंगल आ पृथ्वी) के चारो ओर वायुमंडल पावल जाला जे मौसमी घटना पैदा करे खाती पर्याप्त बा; सगरी चारों पर इम्पैक्ट क्रेटर पावल जालें आ सतह पर टेक्टॉनिक थलरूप मिले लें जइसे कि ज्वालामुखी आ रिफ्ट घाटी। भीतरी ग्रह (inner planet) शब्द के हीन ग्रह (inferior planet) से अलग बूझे के चाहीं, हीन ग्रह में खाली दू गो ग्रह आवे लें (बुध आ शुक्र) जे पृथ्वी के तुलना में सुरुज के नजदीक बाने, यानी पृथ्वी के ओर से देखे पर भीतर की ओर मौजूद कक्षा में सुरुज के चक्कर लगावे लें।

इहो देखल जाय

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संदर्भ

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बाहरी कड़ी

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