हनुमान

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टेम्पलेट:Infobox deity हनुमान, हिंदू धर्म में एगो देवता हवें जिनकर रूप बानर के ह। हनुमान के अनन्य रामभक्त के रूप में मानल जाला[१] आ भारतीय उपमहादीप आ दक्खिन-पुरुब एशिया में मिले वाला "रामायण" के बिबिध रूप आ पाठ सभ में हनुमान एगो प्रमुख चरित्र हवें।[२] हनुमान के चिरंजीवी मानल जाला आ एह रूप में इनके बिबरन अउरी कई ग्रंथ सभ, जइसे कि महाभारत,[१] कई गो पुराण सभ में आ जैन ग्रंथ सभ,[३] बौद्ध,[४] आ सिख धर्म के ग्रंथ सभ में मिले ला।[५] कई ग्रंथ सभ में हनुमान के शिव के अवतार[१] भा अंश भी मानल गइल बा।टेम्पलेट:Sfn हनुमान के अंजना आ केशरी के बेटा मानल जाला, आ कुछ कथा सभ के मोताबिक पवन देव के भी, काहें कि इनके जनम में पवनदेव के भी योगदान रहे।[६][७]

हिंदू धरम में हनुमान के देवता भा पूज्य चरित्र के रूप में परतिष्ठा कब भइल ई बिबाद के बिसय बा। एहू बारे में बिबाद बा कि इनके पहिले का स्वरुप रहल आ वर्तमान देवता के रूप से केतना अलग रहल।टेम्पलेट:Sfn बैकल्पिक थियरी सभ के अनुसार इनके बहुत प्राचीन साबित कइल जाला, ग़ैर-आर्य देवता के रूप में कल्पित कइल जाला जेकरा के बाद में वैदिक आर्य लोग संस्कृताइज क लिहल, या फिर साहित्य में इनके धार्मिक प्रतीकवाद के उपज आ यक्ष रुपी देवता लोग के फ्यूजन से गढ़ल देवता के रूप में भी कल्पित कइल जाला।[८][९]टेम्पलेट:Rp

हालाँकि, हिंदू धर्म के परसिद्ध कृति रामायण महाकाव्य आ एकरे बाद के बिबिध रामकथा सभ में हनुमान एगो प्रमुख चरित्र के रूप में मौजूद बाने, इनके पूजा करे के बिबरन प्राचीन आ मध्यकालीन ग्रंथ सभ में आ पुरातात्विक खोदाई से मिलल सबूत सभ में कम मिले के बात कहल जाला। अमेरिकी भारतबिद, फिलिप लुटगेंडार्फ, जे हनुमान पर अध्ययन करे खाती मशहूर बाने, माने लें कि हनुमान के धार्मिक आ पूज्य देवता के रूप में महत्व रामायण के रचना के लगभग 1,000 साल बाद दूसरी सहस्राब्दी ईसवी में भइल जब इस्लाम के भारत में आगमन भइल।[१०] भक्ति आन्दोलन के संत, जइसे कि समर्थ रामदास इत्यादि लोग द्वारा हनुमान के राष्ट्रवाद आ अत्याचार के खिलाफ बिद्रोह के चीन्हा के रूप में स्थापित कइल गइल।[११] आज के ज़माना में इनके मुर्ती, चित्र आ मंदिर बहुत आम बाने।[१२] हनुमान के "ताकत, हीरोइक कामकर्ता आ सबल क्षमता" के साथ "कृपालु, आ राम के प्रति भावनात्मक भक्ति" के चीन्हा के रूप में शक्ति आ भक्ति के आदर्श मिलजुल रूप वाला देवता के रूप में परतिष्ठा भइल।[१३] बाद के साहित्य में हनुमान के मल्लजुद्ध, आ कलाबाजी के देवता के रूप में भी आ ग्यानी-ध्यानी बिद्वान के रूप में भी स्थापना भइल।[१] इनके निरूपण आत्म-नियंत्रण, बिस्वास आ आस्था, नियत कारज में सेवा के भावना के छिपल निरूपण भइल जेकर बाहरी रूप भले बानर के बा।[१२][१४][८]

हिंदू धर्म में एगो बहुत चलनसार देवता होखे के साथे-साथ हनुमान जैन आ बौद्ध धर्म में भी मौजूद बाने।[३][१५] इहे ना, बलुक भारत से बहरें के कई देसन में हनुमान के बिबिध रूप में परतिष्ठा बा, जइसे कि म्यांमार, थाइलैंड, कंबोडिया, मलेशिया आ बाली अउरी इंडोनेशिया में हनुमान के पूजल जाला भा इनके मुर्ती के निरूपण मिले ला। बाहरी देसन में हनुमान के चित्रण कुछ अलग तरीका से भी मिले ला जे हिंदू धर्म के हनुमान से भिन्न बा। उदाहरण खाती कुछ संस्कृति में हनुमान के बिसाल छाती वाला शक्तिशाली देव के रूप में जरूर कल्पित कइल जाला बाकिर उनके ब्रह्मचारी रूप में ना बलुक बियाह करे आ लइका-फइका वाला रूप में मानल गइल बा जइसे भारतो के कुछ इलाकाई हिस्सा में मानल जाला। कुछ बिद्वान लोग के अइसन मत भी बा कि परसिद्ध चीनी काब्यात्मक उपन्यास "शीयूजी" (पच्छिम के यात्रा), जे चीनी यात्री ह्वेन सांग (602–664 ईसवी) के भारत यात्रा के बिबरण से परभावित हो के लिखल गइल रहे, एह में कौतुक आ साहस भरल बानर के चरित्तर वाला हीरो, हनुमान के कथा से प्रेरणा ले के रचल गइल हवे।[३][१६]

नाँव

प्रणाम के मुद्रा में हाथ जोड़ले हनुमान

"हनुमान" नाँव, जे इनके सभसे चलनसार नाँव हवे, के उत्पत्ति आ अरथ के बारे में लोग एकमत नइखे। हिंदू धरम में एकही देवता के कई गो नाँव होखल बहुत आम बात हवे। कौनों-न-कौनों बिसेसता भा लच्छन के आधार पर देवता लोग के बिबिध नाँव रखल गइल हवें।[९]टेम्पलेट:Rp हनुमान के भी कई गो अउरी नाँव बाड़ें जइसे कि आंजनेय, अंजनीसुत, अंजनी पुत्र, मारुति, पवनसुत, बजरंगबली इत्यादि बाकी एह में से सभके इस्तेमाल हमेशा ना होला। आम तौर प सभसे चलन में हनुमाने हवे।

एह नाँव के पाछे एगो ब्याख्या ई दिहल जाला कि हनुमान जी बचपन में सुरुज भगवान के सुघर फल बूझ के लपक लिहलें आ मुँह में भर लिहलें जवना से चारों ओर अन्हियारी फइल गइल आ हनुमान के मुँह से सुरुज के बहरें निकासे खाती इंद्र अपना बज्र से प्रहार कइलेन जवना से हनुमान जी के दाढ़ी ("संस्कृत में हनु) कुछ टेढ़ भ गइल। एही के बाद टेढ़ हनु वाला, इनके हनुमान कहल जाए लागल।[९]टेम्पलेट:Rp

एगो दूसर ब्याख्या ई कइल जाला कि संस्कृत में "हन्" के अरथ होला नास होखल, आ "मान" के अरथ होला गरब भा अभिमान; एह आधार पर हनुमान के अरथ बतावल जाला कि जेकर भक्ति में आपन मान नष्ट हो गइल होखे। अइसन इनके द्वारा राम आ सीता के भक्ति में अनन्य समर्पण आ भक्ति के कारण बतावल जाला। एह तरीका से हनुमान के ताकत, शक्ति आ बीरता के साथे साथ भावुक आ दयालु अउरी भक्त देवता के रूप में कल्पित कइल जाला आ भक्ति आ शक्ति दुन्नों के चीन्हा के रूप में देखल जाला।[९]टेम्पलेट:Rp

एगो तिसरहा मत जैन धरम में मिले ला। एह कथा के मोताबिक हनुमान अपना बचपन के दिन एगो अइसन दीप पर बितवलें जेकर नाँव हनुरुह रहे; एही दीप के नाँव पर इनकरो नाँव हनुमान धरा गइल।[९]टेम्पलेट:Rp

हनुमान शब्द के भाषाई बिबिधता के रूप में हनुमत, अनुमान (तमिल में), हनुमंत (कन्नड़), हनुमंथुदु (तेलुगु) इत्यादि मिले लें। हनुमान के अलावा इनके अन्य कई नाँव नीचे दिहल जा रहल बाने:

  • आंजनेय,[१७] जेकर बिबिध रूप बाड़ें: अंजनीसुत, अंजनेयार (तमिल) आंजनेयादु (तेलुगु)। ई सगरी नाँव इनके महतारी अंजना के नाँव पर रखल हवें आ इनहन के मतलब होला "अंजनी के बेटा"।
  • केशरी नंदन, पिता केशरी के नाँव पर, जेकर मतलब बा "केशरी के बेटा"
  • मारुति, (मरुत माने पवन या वायुदेव) "पवन के बेटा";[२] अन्य नाँव में पवनसुत, पवनपुत्र, वायुनंदन इत्यादि।
  • बजरंग बली, "जेकर अंग बज्र नियर बलवान होखे"; ई नाँव उत्तर भारत के देहाती इलाका में बहुत चलनसार हवे।[९]टेम्पलेट:Rp
  • संकट मोचन, "संकट से छुटकारा दियावे वाला"[९]टेम्पलेट:Rp
  • महावीर', मने की महान बीर,
  • कपीश, कपि, मने बानर लोग के स्वामी इत्यादि।

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इहो देखल जाय

संदर्भ

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स्रोत

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बाहरी कड़ी

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टेम्पलेट:हिंदू देवी-देवता

  1. १.० १.१ १.२ १.३ टेम्पलेट:Cite book
  2. २.० २.१ उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named Claus2003p280
  3. ३.० ३.१ ३.२ Wendy Doniger, Hanuman: Hindu mythology, Encyclopaedia Britannica; For a summary of the Chinese text, see Xiyouji: NOVEL BY WU CHENG’EN
  4. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named whitfield212
  5. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named louis143
  6. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named debroy184
  7. टेम्पलेट:Cite book
  8. ८.० ८.१ टेम्पलेट:Cite book
  9. ९.० ९.१ ९.२ ९.३ ९.४ ९.५ ९.६ टेम्पलेट:Cite book
  10. Paula Richman (2010), Review: Lutgendorf, Philip's Hanuman's Tale: The Messages of a Divine Monkey, The Journal of Asian Studies; Vol 69, Issue 4 (Nov 2010), pages 1287-1288
  11. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named lele114
  12. १२.० १२.१ टेम्पलेट:Cite book
  13. टेम्पलेट:Cite book
  14. टेम्पलेट:Cite journal
  15. टेम्पलेट:Cite journal
  16. H. S. Walker (1998), Indigenous or Foreign? A Look at the Origins of the Monkey Hero Sun Wukong, Sino-Platonic Papers, No. 81. September 1998, Editor: Victor H. Mair, University of Pennsylvania
  17. टेम्पलेट:Cite book