हरसिंगार

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टेम्पलेट:Speciesbox हरसिंगार (बैज्ञानिक नाँव: Nyctanthes arbor-tristis) एक किसिम के फूल वाला पौधा हवे जे भारतीय उपमहादीप (दक्खिन एशिया) आ दक्खिन-पुरुब एशिया के मूल पौधा हवे।[१] बैज्ञानिक बर्गीकरण में ई ओलिआसिआइ परिवार के निक्टेंथीस़ जाति में आवे ला जेह में एकरे अलावा खाली भर एऽगो अउरी प्रजाति बाटे जे थाइलैंड के मूल पौधा हवे।

ई झाँग नियर चाहे छोट पेड़ नियर होला जे 10 मीटर (33 फीट) तक ले ऊँच हो सके ला। आमतौर पर एह पौधा में बरसात के सीजन बाद शरद रितु में फूल फुलालें। फूल संतरहवा रंग के डंडी वाला आ उज्जर रंग के होलें, साइज छोट होला, महक बहुत होले आ साँझ बेरा फुलालें आ सबेरे झर जालें। फल के साइज लगभग 2 सेंटीमीटर डायामीटर के होला जे एकदम चापत होला आ एकरे खोल में दू हिस्सा होलें जिन्हाना में एकहक ठो बीया होला।

नाँव

हरसिंगार (भोजपुरी उच्चारण: हर्सिंङार चाहे हरसीँगार) में हर के माने देवता शिव जी होला जिनके सिंगार के रूप में एकरा के चढ़ावे के मान्यता हिंदू धरम में बा। ई नाँव खास तौर पर भोजपुरी आ मैथिली संस्कृति के इलाका में इस्तेमाल होला।

आम तौर पर भारत में एकरा के पारिजात के नाँव से जानल जाला जेकरा साथे कई हिंदू कथा (मिथक) जुड़ल बाने। ई स्वर्ग के फूल मानल जाला जेकरा के श्रीकृष्ण स्वर्ग से उखारि के धरती पर ले अइलें।

औरु दूसर नाव, प्राजक्ता हवे। एकरे अलावा शेफाली आ एकरे आसान रूप शिवली, सिउली नियर नाँव एह फूल खाती इस्तेमाल होलें।

भोजपुरी इलाका में एह पेड़ के सिंहेड़ा के नाँव से भी जानल जाला। कुछ जगह हेंगड़ा के नाँव से भी बोलावल जाला।

बैज्ञानिक नाँव में निक्टेंथीस़ जाति के नाँव हवे आ अर्बोर (पेड़) आ ट्राइस्टिस (दुःख) के मिला के कुल मतलब लगभग दुःख के पेड़" होला। शाइद ई नाँव सबेरे एकरे फूल के टपटप झरे के कारन रखल गइल हवे।

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संदर्भ

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