कैथी

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कैथी, भा कायथी भा कायस्थी, उत्तर भारत में इस्तिमाल होखे वाली एक ठो पुरान लिपि यानि लिखाई के सिस्टम हऽ। बीसवीं सदी के बीच के समय ले ई लिपि मुख्य रूप से पुरनका नॉर्थ-वेस्टर्न प्रोविंस, अवध आ भोजपुरी क्षेत्र में अउरी नेपाल के मधेस क्षेत्र में प्रयोग होखे। एह लिपि में कानूनी दस्तावेज, प्रशासनिक कामकाज के ब्यौरा आ निजी दस्तावेज लिखल जायँ।[१] भोजपुरी मुख्य रूप से एही लिपि में लिखल जाय। धीरे-धीरे एह लिपि के चलन बंद हो गइल आ अब ई लगभग समाप्तप्राय बाटे।

नाँव

कैथी शब्द "कायस्थ" से निकलल हवे। कायस्थ एक ठो सामाजिक समूह बाटे आ परंपरागत रूप से पुरान समय में ई लोग खाता-बही लिखे खातिर एह लिपि के इस्तेमाल करे।[२] कायस्थ समुदाय के लोग तत्कालीन राजघराना सभ से आ उत्तरी भारत के अंगरेजी सरकार जुड़ल रहे आ एह लोग के जमीन, लगान, कानूनी दस्तावेज, माफी (दानपत्र), आम चिट्ठी-पतरी आ दरबारी बेहवार के रोजनामा इत्यादि लिखे खातिर नियुक्त कइल जाय।[३] एही कायस्थ लोग द्वारा इस्तेमाल होखे वाला लिखाई के कायथी भा कैथी नाँव पड़ल।

इतिहास

19वीं सदी के मध्य के कौनों समय में छपल रूप में कैथी
कैथी लिखाई में लिखल एक ठो कहनी, लेखक बाबू राम स्मरण लाल, 1898

कैथी में लिखल दस्तावेज सभ सोरहवाँ सदी ले पुरान पावल गइल बाने। मुगल काल में एकरे ब्यापक इस्तेमाल के पता चलल बा। 1880 के दशक में, ब्रिटिश राज में, बिहार के कचहरी कोर्ट के ई ऑफिशियल भाषा रहल। बाद में देवनागरी के महत्व ओह इलाका सभ में भी बढ़ल जेने पहिले कैथी ढेर प्रचलन में रहल आ ओकरे बाद कैथी के चलन धीरे धीरे कम होत गइल।

विवरण

कैथी लिखाई बायें से दाहिने लिखल जाले।[४]आबूगीडा प्रकार के लिखाई हवे। एह में व्यंजन में स्वर के चीन्हा मिला के लिखल जालें। स्वर के अक्षर सभ के अलग से भी लिखल जा सके ला। स्वर के चीन्हा व्यंजन अक्षर के ऊपर, नीचे आगे आ पाछे (अलग-अलग स्वर अनुसार) लागे लें। कैथी लिपि के एक ठो खासियत हवे उपर के पड़ी पाई (शिरोरेखा) के ना होखल।[५]

कैथी लिपि के भी तीन गो प्रकार बतावल गइल बाटे: तिरहुती कैथी, मगही कैथी आ भोजपुरी कैथी।[६]

कैथी के पुराना समय में बिस्तार के प्रमाण सुदूर पूरुब में आसाम ले मिलल बाटे। मगध क्षेत्र के संत आ सिद्ध लोग के दैनिक बेह्वार के लिखाई भी कैथी रहल। मगध से बंगाल आ आसाम ले भक्ति आंदोलन के समय के रचना सभ के लिखे खातिर एह लिपि के इस्तेमाल के भी प्रमाण मिले ला। इहो कहल जाला कि आसाम के वर्तमान भाषा आ लिपि के बिकास में कैथी के योगदान रहल बाटे।[५]

मैथिली भाषा के लिखे खातिर, आधुनिक काल में ले एह लिखाई के इस्तेमाल होखे के प्रमाण बाटे।[७] ग्रियर्सन महोदय अपना खोज में ई पवलें कि मैथिलि लिखे खातिर (ओह समय तत्काल में) तीन गो प्रमुख लिपि इस्तेमाल मे रहल - मैथिली या तिरहुता के इस्तेमाल मिथिला के उच्च बर्ग के लोग करे, कैथी के प्रयोग पूरा उत्तर भारत के पढ़ल-लिखल मानल जाए वाला लोग करे आ तीसरी देवनागरी के प्रयोग बनारस के हिंदी समर्थक लोग द्वारा परचारित हो रहल रहे।[८] वर्तमान में मैथिली के लिखे खातिर देवनागरी के प्रयोग हो रहल बा आ तिरहुता आ कैथी के चलन लगभग समाप्त हो चुकल बाटे।

ब्रिटिश शासन के समय हिंदी/नगरी बिस्तार आ परचार के प्रयास चालू भइल आ फ़ारसी लिखाई के हटा के नागरी के ऑफिशियल दर्जा दियवावे के खातिर ई तर्क दिहल गइल कि नगरी लिखाई ढेर चलन में बाटे। हालाँकि, ओह समय एह बात के एकदम अनदेखी कइल गइल कि कैथी लिखाई नागरी से भी ढेर प्रचलन में रहल।[९] जब फ़ारसी लिखाई के हटावे के बात चलल तब प्रसिद्द व्याकरणबिद नेसफ़ील्ड कैथी के समर्थन कइलेन। कैम्पबेल के समय में 1873 में जब बिहार से फारसी लिखाई के ऑफिशियल दर्जा हटावे के बात चलल तबो शिक्षा आयोग के दिहल अपने रपट (1883-84) मे बंगाल प्रोविंसियल कमेटी कैथी लिपि के प्रस्ताव कइलस।[९] हालाँकि, हिंदी/नागरी समर्थक लोग के ई ना स्वीकार भइल। एह लोग के नजर में देवनागरी आ हिंदी, संस्कृत पर ढेर आश्रित रहले के कारण, ढेर शुद्ध लागल। 1912 में आरा के नागरी प्रचारिणी सभा सरकार से नगरी लिपि के इस्तमाल के प्रस्ताव कइलस।[९]

वर्तमान दसा

उत्तर भारत के कुछ इलाका में अभी भी पुरान सरकारी दस्तावेज कैथी लिखाई में सुरक्षित बाने। खासतौर पर जमीन के खतियान के रिकार्ड पुरान समय से कैथी लिखाई में बा। एही से जब कौनों जमीन संबंधी बिबाद या खरीदे-बेचे के मामिला आवेला तब एह लिखाई के जानकार लोग के जरूरत पड़े ला।[१०] वर्तमान में एह लिखाई के बस इहे महत्व रहि गइल बाटे आ बतावल जात बा कि एकरा जानकार लोग के कमी से काफी दिक्कत भी हो रहल बाटे।

हाल में बिहार के सरकार आ नालंदा खुला विश्वविद्द्यालय के कुछ प्रयास कैथी लिपि सिखावे खातिर भइल बा। एकरा खातिर ट्रेनिंग कैम्प भी लगावे के खबर बा।[११]

युनिकोड

टेम्पलेट:Main

अक्टूबर 2009 में कैथी के युनिकोड मानक में सामिल कइल गइल, जब एकर 5.2 वर्शन रिलीज भइल।

कैथी खातिर निश्चित युनिकोड ब्लॉक बा U+11080–U+110CF:

टेम्पलेट:Unicode chart Kaithi टेम्पलेट:Clear

संदर्भ

टेम्पलेट:Reflist

बाहरी कड़ी

  1. King, Christopher R. 1995. One Language, Two Scripts: The Hindi Movement in Nineteenth Century North India. New York: Oxford University Press.
  2. Grierson, George A. 1899. A Handbook to the Kaithi Character. Calcutta: Thacker, Spink & Co.
  3. Pandey, Anshuman. 2008. "Proposal to Encode the Kaithi Script in ISO/IEC 10646" [१]
  4. टेम्पलेट:Cite book
  5. ५.० ५.१ टेम्पलेट:Cite book
  6. टेम्पलेट:Cite book
  7. टेम्पलेट:Cite book
  8. टेम्पलेट:Cite book
  9. ९.० ९.१ ९.२ टेम्पलेट:Cite book
  10. टेम्पलेट:Cite web
  11. टेम्पलेट:Cite web