सामा चकेवा

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टेम्पलेट:Infobox holiday सामा चकेवा भारत के बिहार राज्य आ एह से सटल नेपाल के एक ठो प्रमुख तिहवार हवे।[१][२][३] खासतौर से ई तिहुआर मिथिला क्षेत्र मे मनावल जाला। भाई-बहिन के प्रेम के उत्सव के रूप में ई तिहवार कातिक महीना में छठ के अगिला दिन से सुरू हो के आठ दिन ले चले ला आ कातिक पुर्नवाँसी के खतम होला। साँझ बेरा औरत आ आ लड़की लोग सामा चकेवा के गीति गा के एह उत्सव के मनावे लीं आ एकरा के सामा चकेवा खेलल कहल जाला।

तिथि

सामा-चकेवा के उत्सव कातिक के महीना में मनावल जाला। अंगरेजी हिसाब से ई नवंबर के महीना में पड़े ला।

कातिक के छठ, जेकरा के बिहार में डाला छठ कहल जाला, आ जे बिहार के एक ठो प्रमुख परब हवे, ओह के ठीक अगिला दिन से सामा-चकेबा के सुरुआत होला आ अगिला आठ दिन ले ई उत्सव चले ला। यानि, कातिक के सत्तिमी से ले के कातिक के पूर्णिमा ले।

गीत

सामा-चकेबा के मुख्य चीज एह में गावल जाये वाला गीत हवे। लड़की आ मेहरारू लोग साँझ के बाद झुंड बना के सामा-चकेबा के गीति गावे लीं। ई गीत सभ बिहार आ मिथिला के संस्कृति के एक ठो महत्व वाला चीज बाड़े।[४][५]

कथा

सामा चकेवा के कथा लोक प्रचलित हवे। कथा के अनुसार कृष्ण भगवान के एक ठो लइकी श्यामा (सामा) रहली। सामा के जंगल से परेम रहल आ उहाँ के चिरई-चुरुंग आ पेड़ पौधा सभ के साथे खेले में उनुके बहुत आनंद रहल। भोरे भोर ऊ जंगल के ओर निकलि जाय आ साँझ के बेर घरे आवे।

एह बात के ले के केहू उनुके बाबू जी के मन में संका डाल दिहल आ उनुके बाबू नराज हो के सराप दे दिहलें की जा तू चिरई हो जा।

एह बात के पता जब सामा के भाई चकेबा के पड़ल त उनुके बहुत दुःख भइल आ ऊ ई निश्चय कर लिहलें की हम सामा के वापिस उनुके रूप में ले आइब। चकेबा अपना बहिन के चिरई से वापिस लड़की के रूप में ले आवे खातिर तप करे लगलें।

अंत में चकेवा के तप से खुस हो के भगवान के सामा के वापिस अपने मानुस रूप में लवटावे के परल।

संदर्भ

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