रैदास
रैदास भा रविदास एगो भारत के रहस्यवादी संत, कबि आ रविदस्सिया धरम के संस्थापक रहन। उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब आ हरियाणा मे इनकरा गुरु मान के बंदना कइल जाला। ई एगो कबि, साधु आ समाज सुधारक रहन। इनकर जनम सन 1450 मे भइल रहे आ इ चमार जात से रहन।
इनकर लिखल बात सभ के गुरु ग्रन्थ साहिब मे जगह दिहल बा। दादुपंथी संप्रदाय के पंच वाणी ओ मे इनकर कबिता सभ के धइल गईल बा। ई ऊंच आ नीच जात के भेद आ मनुवादी बिचार के बिरोध कइलन आ एगो अईसन समाज के कल्पना कइलन जेमे सभ केहू बरोबर होखे।
जिनगी
बिद्वान लोग मानेला जे इनकर जनम 1450 मे भइल रहे आ ई 1520 मे मुअल रहन।[१]
इनकर जनम उत्तर प्रदेश मे बनारस लगे सीर गोबींदपुर नांव के एगो गाँव मे भईल रहे। इनकर जनम अस्थान के रविदास जनम अस्थान कहल जाला। इनकर माई के नांव माता कलसन रहे आ बाबूजी के नांव संतोख दास रहे। इनकर बाबू माई चाम के काम करत रहन, माने ई लोग चमार जात से रहे जेवन की एगो नान जात हऽ आ एकरा अछुत मानल जाला। भले इनकर काज चाम के रहे बाकिर इनकर ढेर समय गंगा तिरे बितत रहे जेहर ई आध्यात्मिक कविता लिखत रहन। आगे चलिके इनकर सूफि साधु लोग जोरे संघत भईल।