भोजपुरी साहित्य

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टेम्पलेट:भोजपुरी साहित्य भोजपुरी साहित्य में अइसन सगरी साहित्य के रखल जाला जवन भोजपुरी भाषा में रचल गइल बाटे। गोरखनाथ, कबीरदासदरिया साहेब नियर संत लोगन के बानी से सुरुआत हो के महेन्दर मिसिर, भिखारी ठाकुरराहुल बाबा के रचना से होत भोजपुरी साहित्य के बिकास आज कबिता, कहानी, उपन्यास आ ब्लॉग लेखन ले पुगइल गइल बाटे। आधुनिक काल के सुरुआत में पाण्डेय कपिल, रामजी राय, भोलानाथ गहमरी नियर लोगन के रचना से बर्तमान साहित्य के रीढ़ मजबूत भइल बा।

भोजपुरी भाषा आ साहित्य के इतिहास लिखे वाला लोगन में ग्रियर्सन, राहुल बाबा से ले के उदय नारायण तिवारी, कृष्णदेव उपाध्याय, हवलदार तिवारी आ तैयब हुसैन 'पीड़ित' नियर बिद्वान लोगन के योगदान बा।टेम्पलेट:Sfn अर्जुन तिवारी के लिखल एकरा साहित्य के इतिहास भोजपुरी भाषा में मौजूद बा।

इतिहास

सुरुआत

भोजपुरी सहित्य के सुरुआत सातवीं सदी से मानल जाला।टेम्पलेट:Sfn उद्धरण दिहल जाला की हर्षवर्धन (सन् 606 - 648 ई) के समय के संस्कृत कवि बाणभट्ट अपन बेर के दू गो कबी लोगन के नाँव गिनवले बाड़ें जे लोग संस्कृत आ प्राकृत दुनु के छोड़ के अपन देहाती बोली में रचना करे। ई कबी लोग बाटे ईसानचंद्रबेनीभारत। ईसानचंद्र बिहार में सोन नदी के पच्छिमी आरी के पिअरो गाँव (प्रीतिकूट) के रहे वाला रहलें।

बाद के साहित्य के सिद्ध साहित्य भा संत साहित्य कहल जाला। पूरन भगत (नवीं सदी) के गीत में भोजपुरी के झलक लउके ला।टेम्पलेट:Sfn नाथ सम्प्रदाय के गुरु गोरखनाथ के रचना में भोजपुरी क्रिया सबदन के इस्तेमाल बहुतायत से बाटे।टेम्पलेट:Sfn

1100 से 1400 ई के काल के लोकगाथा काल के नाँव दिहल गइल बाटे। एही बेर के कुछो बिद्वान "चारण काल" आ "पँवारा काल" के नाँव भी दिहले बाड़ें।टेम्पलेट:Sfn एह काल के गीत में खिस्सा के गावे जोग गीत में बर्णन कइल गइल बा। एग गीतकथा सब में सोरठी ब्रिजभार, शोभा बनजारा, सती बिहुला, आल्हा, लोरिकीराजा भरथरी के खिस्सा सभ मुख्य बाड़ीं सऽ।

बिचला काल

बिचला बेर के रचना में भक्ति के उदय आ संत लोगन के बानी के समेटल जाला। हिंदी साहित्य में एकरा के भक्ति काल कहल जाला। एह काल के कवि लोगन में बिद्यापति, सूरदास, कबीरदास, जायसी आदि के नाँव गिनावल जाला। इनहन लोगन में केहू भी खास भोजपुरिये के कवि होखे अइसन ना बा बाकी इन्हन लोगन के रचना में भोजपुरी के परभाव वाली रचना भी भेटले । ग्रियर्सन के हवाले से बिद्यापती के कई ठो रचना भोजपुरी में भइल बतावल जाला; आ रामनरेश त्रिपाठी के हवाले से एगो उदाहरण टेम्पलेट:Sfn बिद्यापति के बारहमासा से दिहल गइल बा जे साफ भोजपुरी में बाटे। सूरदास मुख्य रूप से ब्रजभाषा के कवि रहलें बाकी उनहूँ के एगो रचनाटेम्पलेट:Sfn देखे जोग बाटे। कबीर के परसिद्ध निर्गुन "कवन ठगवा नगरिया लूटल हो" खाँटी भोजपुरी के रचना बाटे। कबीर के चेला धरमदास के रचनाटेम्पलेट:Sfn

एकरी आलावा बाबा कीनाराम आ भीखमराम के रचना में भोजपुरी के झलक देखल जा सके ला। घाघ आ भड्डरी के कहाउत सब भी एही काल के रचना हईं सऽ।

आधुनिक काल

आधुनिक भोजपुरी साहित्य के एकदम सुरुआती बेर के नवजागरन काल कहल गइल बा। एह बेर के कवि लोग में तेग अली 'तेग', महेन्दर मिसिर, भिखारी ठाकुर, हीरा डोम, बुलाकी दास, दूधनाथ उपाध्याय, आ रघुवीरनारायण के नाँव आवेला। तेग अली के रचना "बदमास दर्पण" खास बनारसी भोजपुरी के एगो गजबे उदाहरण देखावे वाली रचना बाटे। महेन्दर मिसिर, मिश्रावलिया गांव, छपरा के रहलें आ उनकर लिखल पुरबी एगो जमाना में पुरा इलाका में चलनसार रहे आ आजु ले कहीं कहीं सुने के मिल जाला। भिखारी ठाकुर के रचना गीत आ गीतनाटक के रूप में रहे। उनुकर सभसे परसिद्ध रचना बिदेसिया बा आ राहुल बाबा हूंका के भोजपुरी के शेक्सपियर के उपाधि दिहलें।

एकरा बाद के पीढ़ी के लोगन में कबि मोती बी ए, मनोरजंन दादा, भोला नाथ गहमरी, विवेकी राय नियर लोग बा।

उपन्यास

भोजपुरी उपन्यास क माने इहाँ अइसन उपन्यासन से बा जिनहन के रचना भोजपुरी भाषा में भइल बा। विश्व की सगरी भाषा कुल में साहित्य क एगो अइसन विधा पावल जाले जेवना में गद्य रूप में लंबा वर्णन आ जीवन की हर पहलू क वर्णन मिलेला आ एही के नाँव उपन्यास हवे। अइसन उपन्यासन क रचना भोजपुरी भाषा में बाद में भले शुरू भइल लेकिन भोजपुरी भाषा की साहित्य में उपन्यासन क एकदम्मे अभाव नइखे। भोजपुरी के पहिला उपन्यास बिंदिया श्री रामनाथ पाण्डेय जी के रचना बा जेवना क प्रकाशन सन् 1956 में भोजपुरी संसद, जगतगंज, वाराणसी, से भइल।[१] एकरी बाद से लगातार भोजपुरी में उपन्यासन क रचना जारी बा।

भोजपुरी उपन्यासन क काल विभाजन

भोजपुरी उपन्यासन के काल खंड में बाँटला क कौनो प्रामाणिक वर्णन नइखे बाकिर श्री रामनाथ पाण्डेय जी भोजपुरी कथा साहित्य के चारि गो काल खंड में विभाजित कइले बाड़ीं। इहाँ की हिसाब से भोजपुरी कथा-साहित्य के नीचे लिखल तरीका से बाँटल जा सकेला:

लोकगाथा काल (आज़ादी से पाहिले): ए काल में कौनो भोजपुरी उपन्यास के रचना नइखे भइल।

प्रारंभिक काल (1947 से 1961 ले): भोजपुरी क पहिला उपन्यास बिंदिया 1956 में छपल लेकिन भोजपुरी कहानी क शुरुआत अवध बिहारी सुमन क रचना 'जेहलि क सनदि' से मानल जाला जेवन 1948 में छपल रहे।

मध्य काल (1961 से 1974 ले): एह काल में भोजपुरी में लगभग दस गो उपन्यास छपल। एह समय की प्रमुख उपन्यासन में बा : थरुहट के बबुआ और बहुरिया(1965), जीवन साह (1964), सेमर के फूल (1966), रहनिदार बेटी (1966), एगो सुबह, एगो साँझ (1967), सुन्नर काका (1979)। ए उपन्यासन में अधिकतर सामजिक उपन्यास हवें। 'थरुहट के बबुआ और बहुरिया के भोजपुरी में आंचलिक उपन्यास कहल जाला।

आधुनिक काल (1975 की बाद): एह काल में लगभग बीस गो से अधिका उपन्यासन के रचना आ प्रकाशन भइल। फुलसुंघी (1977), भोर मुसुकाइल (1978), घर टोला गाँव (1979), जिनिगी के राह (1982), दरद के डहर (1983), अछूत (1986), महेन्दर मिसिर(1994), इमरितिया काकी (1997), अमंगलहारी (1998), आव लवटि चलीं जा (2000), आधे-आध (2000) इत्यादि उपन्यास एह काल के प्रमुख उपन्यास बा।

चर्चित जन

इहो देखल जाय

टीका टिप्पणी

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स्रोत संदर्भ

बाहरी कड़ी

  • भोजपुरी किताब, भोजपुरी साहित्यांगन पर। (फिरी में डाउनलोड करे लायक किताब सभ के संग्रह)


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टेम्पलेट:साहित्य-आधार

  1. डॉ.विवेकी राय, भोजपुरी कथा साहित्य के विकास